लेखनी कविता -कविता संग्रह हमारे कृषक

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हमारे कृषक जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं है  छूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है  मुख में जीभ शक्ति भुजा में जीवन में ...

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